Tuesday, 16 August 2016

MATHURA NIDHIVAN

 MATHURA NIDHIVAN
मथुरा-वृंदावन और आसपास के इलाके में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के अनगिनत मंदिर हैं, जहां हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.  इनमें से कुछ मंदिर एकदम खास हैं, जहां सिर नवाए बगैर कोई जाना नहीं चाहता.
इस बाबत कान्हा की नगरी मथुरा-वृंदावन में पर्यटकों की संख्या में आए दिन इजाफा हो रहा है.  देशी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों भी पहली पसंद मथुरा-वृंदावन के मंदिर ही हैं.
साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक मथुरा जिले के मंदिरों में अब तक करीब 44 करोड़ लोगों ने दर्शन किए हैं.  इस बाबत जिला पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव की माने तो एक जनवरी 2015 से 30 दिसंबर तक की पर्यटक विभाग की रिपोर्ट में पहला स्थान वृंदावन के बांके बिहारीजी मंदिर का है जहां करीब एक करोड़ 26 लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में जाकर दर्शन किए हैं.
वही दूसरा स्थान गोवर्धन के गिरिराजजी महाराज मंदिर दानघाटी का है जहां करीब एक करोड़ 20 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं.  इसके अलावा तीसरा स्थान मथुरा के सीरी कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का है जहां करीब 66 लाख श्रद्धालू आ चुके हैं.
लिहाजा, मथुरा जिले में बाकी मंदिरों में प्रमुख रूप से बरसाना का राधारानी मंदिर, नंदगांव का मंदिर,गोकुल का रमण रेती मंदिर, वृन्दावन का राधा बल्लभ मंदिर, प्रेम मंदिर, मां वैष्णो मंदिर, मथुरा का द्वारिकाधीश मंदिर, महावन के मंदिर, कोसी में शनि मंदिर भी शामिल हैं.
निधिवन 
भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला आज भी होती है। गोपियां आज भी वृन्दावन में आती हैं और कृष्ण जी आज भी रास रचाते हैं। यह पवित्र जगह मथुरा का निधिवन है। रात होते ही निधिवन का रहस्य गहरा जाता है
लखनऊ. भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला आज भी होती है। गोपियां आज भी वृन्दावन में आती हैं और कृष्ण जी आज भी रास रचाते हैं। यह पवित्र जगह मथुरा का निधिवन है। रात होते ही निधिवन का रहस्य गहरा जाता है। दिन में यह जगह जितनी गुलजार रहती है, रात होते ही यहां इंसान तो दूर की बात है, उल्लू और चीटियां भी कदम नहीं रखते हैं। मान्यता है कि रात को इस जगह पर बांके बिहारी रासलीला करते हैं। खास बात यह है कि रासलीला देखना मना है। इसलिए वन के आसपास घरों में खिड़कियां ही नहीं हैं।
मथुरा जिले के वृंदावन में लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। इसी वृंदावन में एक ऐसी जगह भी मौजूद है, जिसको लेकर मान्यता है कि वहां हर रात भगवान श्रीकृष्ण और राधा रास रचाने आते हैं। निधिवन के नाम से पहचानी जाने वाली इस जगह को लेकर कई ऐसी मान्यताएं हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है।
गीली दातून और बिखरा हुआ बिस्तर
निधिवन में मौजूद पंडित और महंत बताते हैं कि हर रात भगवान श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है। दातुन और पानी का लोटा रखा जाता है। जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते हैं तो लोटे का पानी खाली, दातुन गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता है।
शाम होते ही, सब छोड़ देते हैं वन!
पौराणिक मान्यता है कि निधिवन बंद होने के बाद भी यदि कोई छिपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है। मंदिर के महंत और आसपास के लोग इससे जुड़े कई किस्से सुनाते हैं। उनके म‌ुताबिक जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छिप गया। जब सुबह निधि वन खुला तो वो बेहोश मिला और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था, ऐसे ही कई भक्तों की कहानियां वहां प्रचलित हैं। दावा ये भी किया जाता है कि वहां मौजूद पशु-पक्षी और यहां तक कि चींटी भी शाम होते ही, वन छोड़ देती हैं।
जमीन की ओर बढ़ते हैं पेड़...
निधिवन में मौजूद पेड़ भी अपनी तरह के बेहद ख़ास हैं। जहां आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती है। वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। इन पेड़ों की स्थिति ऐसी है कि रास्ता बनाने के लिए उनकी शाखाओं को डंडों के सहारे फैलने से रोका गया है ।
nidhivan
नहीं खुलती हैं घरों की खिड़कियां
ऐसी मान्यता है कि जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता है। इसी कारण निधिवन के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं। जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, वो शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं। कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करा दिया है। आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक, शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता 

रहस्यमयी और अलौकिक निधिवन – यहाँ आज भी राधा संग रास रचाते है कृष्ण, जो भी देखता है हो जाता है पागल

भारत में कई ऐसी जगह है जो अपने दामन में कई रहस्यों को समेटे हुए है ऐसी ही एक जगह है वृंदावन स्तिथ निधि वन जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।

Mysterious Nidhivan Story & History in Hindi
जो भी देखता है रासलीला हो जाता है पागल :
वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है। ऐसा ही एक वाक़या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वो बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चूका था। ऐसे  अनेकों किस्से यहाँ के लोग बताते है। ऐसे ही एक अन्य वयक्ति थे पागल बाबा जिनकी समाधि भी निधि वन में बनी हुई है। उनके बारे में भी कहा जाता है की उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रास लीला देखने की कोशिश की थी। जिससे की वो पागल ही गए थे। चुकी वो कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर कमेटी ने निधि वन में ही उनकी समाधि बनवा दी।
रंगमहल में सज़ती है सेज़ :
निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ जिसके बारे में मान्यता है की रोज़ रात यहाँ पर राधा और कन्हैया आते है। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है

पेड़ बढ़ते है जमीन की और :
निधि वन के पेड़ भी बड़े अजीब है जहाँ हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है वही निधि वन के पेड़ो की शाखाएं नीचे की और बढ़ती है।  हालात यह है की रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है।

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तुलसी के पेड़ बनते है गोपियाँ :
निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है।  निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है।  इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि‍ जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए। इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता।
वन के आसपास बने मकानों में नहीं हैं खिड़कियां :
वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गए या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई। जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, उनके घर के लोग शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं। कुछ लोग तो अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करा दिया है।
वंशी चोर राधा रानी का भी है मंदिर :
निधि वन में ही वंशी चोर राधा रानी का भी मंदिर है। यहां के महंत बताते हैं कि जब राधा जी को लगने लगा कि कन्हैया हर समय वंशी ही बजाते रहते हैं, उनकी तरफ ध्यान नहीं देते, तो उन्होंने उनकी वंशी चुरा ली। इस मंदिर में कृष्ण जी की सबसे प्रिय गोपी ललिता जी की भी मूर्ति राधा जी के साथ है।
विशाखा कुंड :
निधिवन में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी एक सखी विशाखा को प्यास लगी। कोई व्यवस्था न देख कृष्ण ने अपनी वंशी से इस कुंड की खुदाई कर दी, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा सखी ने अपनी प्यास बुझायी। इस कुंड का नाम तभी से विशाखा कुंड पड़ गया।
 निधिवन कथा

निधिवन का रहस्य, क्या सच में रास रचाने आते हैं रात में राधा कृष्ण? इन फोटोज से पता चलता है  


फाइल फोटो: वृंदावन का नि‍धि‍वन।


 

 




Thursday, 11 August 2016

A.P.J.Abdul kalam

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

जन्म: 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय पद/कार्य: भारत के पूर्व राष्ट्रपतिउपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में  कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
कैरियर
मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल  परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।
1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।

सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।
जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।
वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।
उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।
12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।
पुरस्कार और सम्मान
देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
वर्षसम्मानसंगठन
2014डॉक्टर ऑफ साइंसएडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2012डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद )साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय
2011आईईईई मानद सदस्यताआईईईई
2010डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंगवाटरलू विश्वविद्यालय
2009मानद डॉक्टरेटऑकलैंड विश्वविद्यालय
2009हूवर मेडलASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका
2009अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कारकैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका
2008डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंगनानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर
2007चार्ल्स द्वितीय पदकरॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन
2007साइंस की मानद डाक्टरेटवॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2000रामानुजन पुरस्कारअल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई
1998वीर सावरकर पुरस्कारभारत सरकार
1997राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कारभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1997भारत रत्नभारत सरकार
1994विशिष्ट फेलोइंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
1990पद्म विभूषणभारत सरकार
1981पद्म भूषणभारत सरकार

























































मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय  प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।

LATEST POEM

MOTHER POEMS 

Dream Song 11: His mother goes. The mother comes & goes. by John Berryman
His mother goes. The mother comes & goes.
Chen Lung's too came, came and crampt & then
that dragoner's mother was gone.
It seem we don't have no good bed to lie on,
forever. While he drawing his first breath,
while skinning his knees,

while he was so beastly with love for Charlotte Coquet
he skated up & down in front of her house
wishing he could, sir, die,
while being bullied & he dreamt he could fly—
during irregular verbs—them world-sought bodies
safe in the Arctic lay:

Strindberg rocked in his niche, the great Andrée
by muscled Fraenkel under what's of the tent,
torn like then limbs, by bears
over fierce decades, harmless. Up in pairs
go we not, but we have a good bed.
I have said what I had to say.
Dream Song 14: Life, friends, is boring by John Berryman
Life, friends, is boring. We must not say so.
After all, the sky flashes, the great sea yearns,
we ourselves flash and yearn,
and moreover my mother told me as a boy
(repeatedly) 'Ever to confess you're bored
means you have no

Inner Resources.' I conclude now I have no
inner resources, because I am heavy bored.
Peoples bore me,
literature bores me, especially great literature,
Henry bores me, with his plights & gripes
as bad as achilles,

Who loves people and valiant art, which bores me.
And the tranquil hills, & gin, look like a drag
and somehow a dog
has taken itself & its tail considerably away
into mountains or sea or sky, leaving
behind: me, wag.
WALT WHITMAN POEMS 
O Me! O Life! by Walt Whitman
O ME! O life!... of the questions of these recurring;
Of the endless trains of the faithless—of cities fill’d with the foolish;
Of myself forever reproaching myself, (for who more foolish than I, and who more
faithless?)
Of eyes that vainly crave the light—of the objects mean—of the struggle ever
renew’d;
Of the poor results of all—of the plodding and sordid crowds I see around me;
Of the empty and useless years of the rest—with the rest me intertwined;
The question, O me! so sad, recurring—What good amid these, O me, O life?

Answer.
That you are here—that life exists, and identity;
That the powerful play goes on, and you will contribute a verse.
As I Ponder’d in Silence. by Walt Whitman
1
AS I ponder’d in silence,
Returning upon my poems, considering, lingering long,
A Phantom arose before me, with distrustful aspect,
Terrible in beauty, age, and power,
The genius of poets of old lands,
As to me directing like flame its eyes,
With finger pointing to many immortal songs,
And menacing voice, What singest thou? it said;
Know’st thou not, there is but one theme for ever-enduring bards?
And that is the theme of War, the fortune of battles,
The making of perfect soldiers?

2
Be it so, then I answer’d,
I too, haughty Shade, also sing war—and a longer and greater one than
any,
Waged in my book with varying fortune—with flight, advance, and
retreat—Victory deferr’d and wavering,
(Yet, methinks, certain, or as good as certain, at the last,)—The
field the world;
For life and death—for the Body, and for the eternal Soul,
Lo! too am come, chanting the chant of battles,
I, above all, promote brave soldiers.
Rabindranath Tagore (1861 - 1941)
Rabindranath Tagore



Stream Of Life by Rabindranath Tagore
The same stream of life that runs through my veins night and day
runs through the world and dances in rhythmic measures.

It is the same life that shoots in joy through the dust of the earth
in numberless blades of grass
and breaks into tumultuous waves of leaves and flowers.

It is the same life that is rocked in the ocean-cradle of birth
and of death, in ebb and in flow.

I feel my limbs are made glorious by the touch of this world of life.
And my pride is from the life-throb of ages dancing in my blood this moment.














Greatest writer in modern Indian literature, Bengali poet, novelist, educator, who won the Nobel Prize for Literature in 1913. Tagore was awarded the knighthood in 1915, but he surrendered it in 1919 as a protest against the Massacre of Amritsar, where British troops killed some 400 Indian demonstrators protesting colonial laws. Tagore's reputation in the West as a mystic has perhaps mislead his Western readers to ignore his role as a reformer and critic of colonialism.













Strong Mercy by Rabindranath Tagore
My desires are many and my cry is pitiful,
but ever didst thou save me by hard refusals;
and this strong mercy has been wrought into my life through and through.

Day by day thou art making me worthy of the simple,
great gifts that thou gavest to me unasked---this sky and the light, this body and the
life and the mind---saving me from perils of overmuch desire.

There are times when I languidly linger
and times when I awaken and hurry in search of my goal;
but cruelly thou hidest thyself from before me.

Day by day thou art making me worthy of thy full acceptance by
refusing me ever and anon, saving me from perils of weak, uncertain desire.

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1Bank of MaharashtraGraduation, graduation in lawgeneral officer, security office1315 posts6th September 2016View Details
2RNSBGraduate , HSLCoffice assistantNot Specified15th August 2016View Details
3Canara BankMCA, graduationadministrator06 posts10th August 2016View Details
4South Indian BankACAProbationary officer05 posts10th August 2016View Details
5South Indian BankCMA / ICWAProbationary officer05 posts5th September 2016View Details
6SBIGraduate, MBAspecialist cadre officer05 posts16th August 2016View Details
7Bank of BarodaDegree, GraduationProbationary Officer400 posts21st August 2016View Details
8Indian BankDegreechief operating officer and head of vertical03 posts10th August 2016View Details
9RNSBGraduateDeputy Chief ManagerNot Specified29th July 2016.View Details
10Central Bank of IndiaGraduation, BSW, BA, B.Com.office assistantNot Specified30th July 2016View Details
11RNSBGraduateDeputy Chief ManagerNot Specified29th July 2016View Details
12Central Bank of IndiaSecondary classAttenderNot Specified30th July 2016View Details
13RNSBGraduateChief ManagerNot Specified29th July 2016.View Details
14Rajkot Nagarik Sahakari BankGraduate, post – graduate, CA, ICWA, MBA, MCA, PGDCAsenior executiveNot Specified27th July 2016.View Details
15Reserve Bank of IndiaMaster degree, doctoral degree, PG diplomaofficer19 posts9th August 2016View Details
16Rajkot Nagarik Sahakari BankGraduateComputer operator (Trainee)Not Specified25th July 2016.View Details
17Reserve Bank of IndiaDegreeofficer163 posts9th August 2016View Details
18Institute of banking personnel selectionDegree, GraduationProbationary officer882213th August 2016View Details
19Federal BankMCA, BE, B.Tech., M.Tech., graduatespecialist officer22nd July 2016View Details
20Tamkur Grain Merchants Co-operative bank limitedDegree. Diploma, master degree, 8th classjunior Assistant and Attender15th July 2016View Details
GOVERNMENT JOBS IN 2016(1,00,000) GOVT, JOBS OPENING

Qualification wise Latest Govt Jobs 2016-17: [Last updated on 11th August 2016]
Educational Qualification
Total Vacancies
Govt Jobs List
8th Pass, 10th Pass, 12th Pass, SSC, SSLC, HSC
6036
Diploma
3580
ITI / NCVT
2324
Graduate Engineers (B.E. / B.Tech)
3693
Graduate (Degree)
10,056
Post Graduate
562
MBA
Various
MCA
Various
LAW Graduate
Various


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Latest Government Jobs 2016-17 List:

Govt Jobs Category
Total Vacancies
Jobs List Details
BANK SECTOR JOBS
10,798
RAILWAY JOBS
165
POLICE JOBS
5109
FRESHER JOBS
30,000
IT SECTOR JOBS
100
TEACHER JOBS
6866
FACULTY JOBS (UNIVERSITY / COLLEGE)
Various
CLERK JOBS
Various
COMPUTER / DATA ENTRY JOBS
Various
AGRICULTURE JOBS
602
STATE WISE JOBS
Various
POST OFFICE JOBS
Various
PWD CATEGORY JOBS
441
DRIVER JOBS
477
NURSE JOBS
Various
BSNL JOBS
2700
EXPERIENCED JOBS
Various
DEPUTATION JOBS
433
SPORTS JOBS
257
FEMALE GOVT JOBS
4387


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